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Sunday, June 14, 2020

स्लिम और फिट शरीर पाने का राज.

One the of movement in Bihar School of Yoga.


आज एक दिलचस्प वाक्या आपलोगों के सामने रखना चाहता हूँ.


कुछ लोग ही शायद जानते हों मेरा जुड़ाव योग से दो दशकों से सीखने और सीखाने से रहा हैं. वैसे तो पिताश्री मेरे जन्म के पहले से ही योग के दो बड़े स्तम्भ शिवानंद आश्रम, ऋषिकेश और बिहार योग विद्यालय, मुंगेर से डायरेक्ट जुड़े रहे. और परिस्थितयों बस मैं सन 2001 में बिहार योग विद्यालय से, दिल्ली के भौतिक जीवन और आईटी में महारथ हासिल करने और काम करने के बाद कनेक्ट हुआ. बचपन में आना-जाना होता रहा, पर वो सिर्फ एक आउटिंग होती थी मेरे लिए. कुछ साल आश्रम के कठिन अनुशासन में रहा. वही रहते हुए इच्छा हुई तो योग मनोविज्ञान में डिप्लोमा कर लिया. योग पिताश्री के लिए जीवन पद्धित थी और उसे मैं भी अपनाने की कोशिश करता रहता हूँ. इतना बताना इसलिए जरुरी था, ताकि बाकि बात आपको समझ आ सके.


योग सीखने के लिए आज तक जो भी लोग मुझ से जुड़े, पहली मुलाकात में दो-चार को छोड़कर सबकी पहली इच्छा यही होती कि वो मेरे जैसे फिट और स्लिम दिखें. अब आप कहोगे दो-चार को छोड़कर क्यों ? तो बात ये थी कि वो दो-चार लोग पहले से ही फिट और स्लिम थे और ओवरआल वेलबीइंग के लिए योग से जुड़े थे. दिल्ली हो या भागलपुर सबके सब हाई सोसाइटी वाले रहे. मेरा अनुभव रहा है, मध्यम वर्ग या निम्न वर्ग के लोग सिर्फ रोग ग्रसित होने पर ही योग की शरण में आता है. उसके पहले उनके लिए योग बकवास है.


फिर बात पहुँचती खानपान पर और लोगों का आंकलन होता “आप तो सिर्फ खिचड़ी और दलिया खाते होंगे”, इसलिए इतने फिट और स्लिम हैं. पहली मुलाक़ात में सिर्फ इतना कहता एक-एक स्टेप फॉलो करो और फिर आपकी इच्छा जरूर पूरी होगी. हो सकता है खानपान में थोडा जोड़-तोड़ करना पड़े पर मैं ये मत खाओ, वो मत खाओ नहीं कहूँगा. मैं खुद एक फूडी हूँ. लोगों को लगता, वाह बैठे बिठाए अलादीन का चिराग हाथ लग गया. खूब खुश हो जाते. 

फिर अगले सेशन में बात होती, क्या करना है.

· रात को जल्दी सोना होगा... (अगर रात में काम पर जाते हों तो एक अलग बात है.)
· सुबह सूर्योदय के पहले या कम से कम साथ उठाना होगा.
· सुबह या शाम कम से कम 4-5 किलोमीटर का वाक प्रतिदिन होना ही चाहिए.
· नियमित एक घंटा बताया और कराया गया योगाभ्यास.
· रात्रि के खाने के बाद, कम से कम एक किलोमीटर धीमी चाल में वाक.


इतना सुनकर लोगों का सर भारी हो जाता. इतना सब आप करते हो, हमसे तो ना हो पायेगा... 
ऐसे में सिर्फ इतना ही कहता हूँ - एक तंदरुस्ती हजार नियामत

इसके साथ खानपान के कुछ नियम भी, जो कभी बाद में बताऊंगा.

Wednesday, May 20, 2020

Discover Your 6th Sense


Discover Your 6th Sense

सिक्स्थ सेंस की क्षमता को कोई इंसान कैसे बढा सकता है? एक मित्र से लम्बी बातचीत में संभवतः मैंने अपने अनुभव के अनुसार, सारे नुस्खे बता दिए. फिर सोचा क्यों ना इसे एक पोस्ट के रूप में लिखा जाए. तो चलिए आपको भी आज सिक्स्थ सेंस के बारे में बताता हूँ. आखिर सिक्स्थ सेंस, छटी इंद्रिय है क्या? कहां होती है ? क्या सिक्स्थ सेंस, छटी इंद्रिय को जाग्रत किया जा सकता है? आइए जानते हैं सिक्स्थ सेंस के बारे में.

परामनोविद्या का इतिहास
परामनोविद्या का इतिहास बहुत पुराना है. हिंदुस्तान में लोककथाएँप्राचीन साहित्यदर्शन, हमारे धर्मग्रंथ पराभौतिक घटनाओं तथा अद्भुत मानवीय शक्तियों के उदाहरणों से भरे पड़े हैं. ऐसा माना जाता है कि महिलाओं में सिक्स्थ सेंस, छटी इंद्रिय पुरुषों के मुकाबले अधिक एक्टिव होती है. हममें से कईयों ने इसे माताओं और बहनों में किसी अप्रिय घटनाओं के समय इसे महसूस किया होगा. ऐसा माना जाता है माताओं को अपने बच्चों के साथ होने वाली अनिष्ट घटनाओं की अनुभूति आज भी हजारों किलोमीटर दूर रहने पर भी हो जाता है. ये अनुभूति भी सिक्स्थ सेंस यानि छटी इंद्रिय की वजह से ही महसूस होती है.

आखिर सिक्स्थ सेंस, छटी इंद्रिय है क्या ?
सिक्स्थ सेंस, जिसे छटी इंद्रिय भी कहते हैं, के बारे में हममें से अधिकतर लोगों ने सुना हैं. इन्सान के शरीर में पांच इंद्रियां होती हैं- नेत्रनाकजीभकान और त्वचा. जिससे हम नेत्र से देखनेनाक से सूंघने, जीभ से स्वाद का अनुभवकान से सुनने और त्वचा से स्पर्श को महसूस करते हैं. लेकिन इन्सानों में एक छुपी हुई छठी इंद्री भी होती है जो दिखाई नहीं देती, पर इसके अस्तित्व को हममें से हर कोई कभी ना कभी महसूस किया होगा. इसे आज एक वैज्ञानिक नाम परामनोविज्ञान (Parapsychology) के नाम से जाना जाता है, इसे विज्ञान ने विवादास्पद विधा बना दिया है. विज्ञान ने छटी इंद्रिय (6th Sense), पूर्वांभास (Foreboding), मानसिक सन्देश भेजने और प्राप्त करने (telepathy) के मानवीय शक्ति को हमेशा नाकारा और इसे जादू-टोना और अन्धविश्वास कहकर समाज में भ्रम फैलाया. असल में ये मानव की उच्च कोटि की परा शक्ति और अनुभूति हैं.

क्या छठी इंद्री को पहचाना जा सकता है ?
छठी इंद्री का शरीर में स्थान को सिर्फ वैदिक तंत्र और योग के माध्यम से ही समझा और पहचाना जा सकता है. योग में इसे ब्रह्मरंध्र के नाम से जाना जाता है. हठयोग मेंमस्तिष्क के ऊपरी मध्य भाग में माना जानेवाला वह छिद्र या रंध्र जहाँ सुषुम्नाइंगला और पिंगला ये तीनों नाड़ियाँ मिलती है. सुषुम्ना ही सात चक्रों और छटी इंद्री का केंद्र मानी जाती है. सामान्यत: छटी इंद्री सुप्त अवस्था में होती है, इसे सहस्रार चक्र के नाम से जाना जाता है. योग के अलग-अलग क्रियाओं और तकनीकों के माध्यम से इसे एक्टिव किया जा सकता है. योग मानता है की एक-तिहाई लोगों की छठी इंद्रिय काफी सक्रिय होती है, जिसे निरंतर योग साधना या वैदिक तंत्र से आसानी से एक्टिव किया जा सकता है.

कैसे पहचाने छठी इंद्री विकसित हैं या नहीं ?
छठी इंद्री के एक्टिव होने से कई घटनाओं का पूर्वाभास किया जा सकता है. इसके एक्टिव होने से कई तरह की सिद्धि भी प्राप्त की जा सकती है. छठी इंद्री जागृत होने पर मस्तिष्क कई गुना ज्यादा काम करने लगता है और वे अपने आसपास होने वाली गतिवधियों का पूर्वाभास कर लेता है. सिक्स्थ सेंस, छटी इंद्रिय से किसी भी नकरात्मिक शक्ति को भी आसानी से महसूस किया जा सकता है.

इसे योग साधना और तकनीक से एक्टिव किया जा सकता है, आइये जाने उस योग साधना और तकनीकों के बारें में.

Doing Asana Daily Boosting Your Psychic Power Too
योग आसन
योग आसन के फायदे आज सर्वविदित है, शायद ही किसी को इसके बारे में समझाने की जरूरत हो. प्रतिदिन शरीर के अनुकूल निश्चित आसन करने से शरीर के साथ मानसिक शक्ति भी बढती है. इसमें कई तरह के आसन हैं, कुछ चुनिदा आसनों के साथ सूर्य नमस्कार का सतत अभ्यास से लाभ होता है.  

प्राणायम
विज्ञान कहता है की हम अपने दिमाग का सिर्फ 10 से 15 प्रतिशत शक्ति का ही उपयोग करते हैं. जिसे प्राणायाम के माध्य से बढाया जा सकता है. दिमाग की शक्ति बढ़ने से छठी इंद्री भी जागृत हो सकती है. इसके लिए सबसे अहम् है श्वास लेने की सही तकनीक को समझना और सही श्वास विधि को अपनाकर अधिक मात्र में शरीर के वायुकोषों में ऑक्सीजन की मात्र को पहुँचाना. फेफड़ों और हृदय के करोड़ों वायुकोषों तक सही मात्र में ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाने के कारण मस्तिष्क का कुछ हिस्सा ही काम करता है. वायुकोषों तक प्राणायाम द्वारा प्राणवायु मिलने से कोशिकाओं की रोगों से लड़ने की शक्ति भी बढ़ जाती है.

Meditation is the Path of Self Realization  

ध्यान
ध्यान सुनने में जितना सहज लगता हैं, उसे करना उतना ही कठिन कार्य है. ज्यादातर अभ्यासियों को ध्यान में मन नहीं लगना. मन भटकना और ज्यादा देर तक बैठ नहीं पाना आम समस्या है. ध्यान की अनेकों विधियाँ हैं. ध्यान का सतत अभ्यास आज्ञाचक्र को जाग्रत करता है. जो हमारे सिक्स्थ सेंस को बढ़ाता है. ध्यान का नियमित छोटा अभ्यास भी सहायक सिद्ध हो सकता है.

त्राटक
योग की एक किया है त्राटक. त्राटक मन की एकाग्रता को बढ़ता है जिससे ध्यान करने में मदद मिलती है. किसी एक बिंदु, क्रिस्टल बॉलमोमबत्ती की लौ या दीपक की लौ, पर बिना पलक झपकाए देखते रहने की क्रिया है. मानसिक शक्ति को जागृत करने की यह बहुत ही शक्तिशाली तकनीक है. इससे आप की एकाग्रता बढ़ेगी और धीरे धीरे छठी इंद्री जाग्रत होने लगती है. इसका अभ्यास किसी योग्य योग गुरु, योग शिक्षक की देखरेख में ही शुरू करना चाहिए. ये बहुत ही शक्तिशाली विधि है, गलत ढंग से करने के अपूरणीय क्षति हो सकती है.

कुछ समय का मौन
योग मानता है कि हम जरूरत से ज्यादा बोलकर अपनी शक्तियों का क्षय करते हैं. इसलिए योग में मौन धारण को भी एक शक्तिशाली साधना माना जाता है. अगर हम शक्तियों को बढ़ाने के लिए किये जाने वाले साधना और क्रियाओं के साथ अपनी अर्जित शक्तियों का क्षय रोक दें, तो सिक्स्थ सेंस को विकसित करने में सहायता मिलती है.

आपको यह पोस्ट कैसा लगा, जानने के लिए आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा.

Thursday, June 1, 2017

Five Essentials of a Yoga Practice




1) Awareness :

Yoga develops awareness of what is taking place in the moment. Awareness is a powerful skill to learn however it is only learnt by taking the journey inwards. It is something that you can’t learn at a class in university but it can be learnt by the practice of yoga.

2) Slow & Steady :

Never rush during the Yoga session. Slow down yourself on Yoga mat.


3) Breathing :

It's very important to be aware of breath while practicing Yogasanas. Movement of body should be synchronized with awareness & breath. And this make Yoga, Yoga; this is actually real charm of Yoga. When focusing on the breath during asana practice, the energy, the prana, begins to flow more freely pushing through any emotional and physical blockages and thus freeing the body and mind. Which results in the “feel good” effect after a yoga practice. 
·  Breath, inhale & exhale should be through the nose.· Breathing should be Relaxed, Rhythmic & Silent.


4) Alignment :

Each Yoga style has its own take on alignment. In absence of proper alignment you will not be able to derive maximum benefits. How to come into posture, how to release it’s very important.


5) Health Status :

You should discuss your injuries and special health conditions before the class with your Yoga instructor or teacher. This will help your Yoga teacher to make your practice and experience more enjoyable.

Saturday, May 27, 2017

What Non Practitioner Think About Yoga



After having a 11 years long experience of Yoga teaching found these interesting things about new comers to learn Yoga:

  1.  Mostly in India people start doing Yoga or look towards Yoga when everything fails to provide good health or not any way left for recovery from illness or when doctor wrote down on prescription – “Do Yoga”. Then people look towards Yoga as medicine, just Yoga teacher tell everything once & people will learn even in 30 minutes or 60 minutes.
  2. When start practice in private Yoga class or group Yoga class, people expecting quick result like ENO- "ENO de jhat se aaram".
  3. People don’t want to be regular in Yoga practice but need it’s benefits lifelong.
  4. Nobody want to label himself beginners, in few sessions everybody start demanding advance practices, even when they not even able to perform very basic Yoga serious Pawanmuktasana  I.
  5. Most of the people who come to learn, don’t want to be students.

Wednesday, June 22, 2016

World Yoga Day

Sunday, January 19, 2014

दुर्गा बत्तीसनामावली


दुर्गा बत्तीसनामावली


32 Names of Maa Durga


दुर्गा दुर्गार्तिशमनी दुर्गापद्विनिवारिणी दुर्गमच्छेदिनी दुर्गसाधिनि दुर्गनाशिनी

दुर्गतोद्धारिणी दुर्गनिहन्त्रि दुर्गमापहा दुर्गमज्ञानदा दुर्गदैत्यलोकदवानला दुर्गमा

दुर्गमालोका दुर्गमात्मस्वरुपिणी दुर्गमार्गप्रदा दुर्गमविद्या दुर्गमाश्रिता

दुर्गमज्ञानसंस्थाना दुर्गमध्यानभासिना दुर्गमोहा दुर्गमगा दुर्गमार्थस्वरुपिणी

दुर्गमासुरसंहन्त्री दुर्गमायुधधारिणी दुर्गमाड्गी दुर्गमता दुर्गम्या दुर्गमेश्‍वरी

दुर्गभीमा दुर्गभामी दुर्गभा दुर्गदारिणी




Name Meaning
1.Durgā:  The Reliever of Difficulties
2.Durgātirśaminī:  Who puts difficulties at peace
3.Durgāpadvinivāriṇī:  Dispeller of difficult adversities
4.Durgamacchedinī,:  Who cuts down difficulty
5.Durgasādhinī:  The performer of Discipline to expel difficulties
6.Durganāśinī:  The Destroyer of Difficulty
7.Durgatoddhāriṇī:  Who holds the whip of difficulties
8.Durgenihantrī,:  Who sends difficulties to Ruin
9.Durgamāpahā:  Who measures difficulties
10.Durgamajñānadā:  Who makes difficulties unconscious
11.Durgadaityalokadavānalā:  Who destroys the world of difficult thoughts
12.Durgamā:  The mother of difficulties
13.Durgamālokā:  The perception of difficulties
14.Durgamātmasvarūpiṇī:  The Intrinsic Nature of the soul of difficulties
15.Durgamārgapradā:  Who searches through the difficulties
16.Durgamavidyā:  The knowledge of difficulties
17.Durgamāśritā:   The Extrication from difficulties
18.Durgamajñānasaḿsthānā:  The continued existence of difficulties
19.Durgamadhyānabhāsinī:  Whose meditation remains brilliant when in difficulties
20.Durgamohā:  Who deludes difficulties
21.Durgamagā:  Who resolves difficulties
22.Durgamārthasvarūpiṇī:  Who is the intrinsic nature of the object of difficulties
23.Durgamāsurasanhantrī:  The annihilator of the egotism of difficulties
24.Durgamāyudhadhāriṇī:  Bearer of the weapon against difficulties
25.Durgamāńgī:  The refinery of difficulties
26.Durgamatā :  Who is beyond difficulties
27.Durgamyā:  This present difficulty
28.Durgameśvarī:  The empress of difficulties
29.Durgabhīmā:  Who is terrible to difficulties
30.Durgabhāmā:  The lady to difficulties
31.Durgabhā:  The illuminator of difficulties
32.Durgadāriṇī: Who cuts off difficulties


Sunday, March 31, 2013

असतो मा सद्गमय


Sanskrit Verse:

असतो मा सद्गमय ।
तमसो मा ज्योतिर्गमय ।
मृत्योर्मामृतं गमय ।।

Taken from Brhadaranyaka Upanishad — I.III.28.

Transliterated Verse:

asato ma sad gamaya
tamaso ma jyotir gamaya
mrtyor mamrtam gamaya

Translation in Hindi:

हे ईश्वर! मुझे कुमार्ग से सन्मार्ग की और ले जाएँ! अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञानरूपी प्रकाश की और ले जाएँ! मृत्यु से अमरता की और ले जाएँ!

Translation in English:

From falsehood lead me to truth
From darkness of ignorance lead me to light of knowledge
From death lead me to immortality.

महामृत्युन्जय मंत्र


महामृत्युन्जय मंत्र 


Mahamrityunjaya Mantra is one among the finest Mantra's in Indian Mythology and Spirituality belongs to Lord Shiva.It is a combination of three hindi language words i.e. "Maha" which means Great , "Mrityun" means Death and "Jaya" means Victory which turns into Conquer or victory over death. 


त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् म्रुत्योर्मुक्षिय मामृतात् ॥

Om Trayambakam Yajamahe, Sugandhim Pushti Vardhanam,Urvarukmiv Bandhanat, Mrityurmokshaya Mamratat.



Sanskrit to English Meaning of Mantra:

Tri-ambaka-m : One who has three eyes. Lord Shiva is the only one who have it.

Yaja-mahe: One who is prayed or worshiped.

Sugandhi-m: Good Smell.

Pushti-vardhana-m: One who makes happy, prosperous, gives peace of mind and takes care about you.

Urvaruka-m: Disease, attachment, obstacles in life and resulting depression

iva: Like

Bandhanat: Associated or bonding.

Mrityur: From Death.

Mokshaya: Liberate us or send us heaven.

Ma: Not

Amritat: Realization of Immortality.


Maha Mrityunjaya Mantra Translation in English

“OM. We worship and adore you, O three-eyed one, O Shiva. You are sweet gladness, the fragrance of life, who nourishes us, restores our health, and causes us to thrive. As, in due time, the stem of the cucumber weakens, and the gourd is freed from the vine, so free us from attachment and death, and do not withhold immortality.” 


Brief explanation

We concentrate on our third eye which lies behind the two eyes and this gives us the power to feel you and by this we feel happy,satisfied and peace in life. We know immortality is not possible but some extension can be given to our death by your powers Lord Shiva.

Friday, January 11, 2008

शांति मंत्र - ऊं सहना ववतु

शांति मंत्र


ऊं सहना ववतु शांति मंत्र 


ऊं सहना ववतु

सहनौ भुनक्तु
सहविर्यम् करवावहे
तेजस्विना वधीतम् अस्तु
मा विद विशावहै
ऊं शांति शांति शांति


Om Sahana Vavatu Sahanau Bhunaktu
Sahaveeryam Karavavahai
Tejas Vinavati Tamastuma vidhwishavahai
Om Shanti Shanti Shantihi



Sanskrit to English Word Meaning:
Saha- both; nau-us; avatu- may he protect; bhunaktu-may he nourish; viryam karavavahai-may we acquire the capacity; tejasvi-be brilliant; nau-for us; adhitam- what is studied; astu-let it be; ma vidvisavahai-may we not argue with each other.

Translation:
May He protect both of us. May He nourish both of us. May we both acquire the capacity (to study and understand the scriptures). May our study be brilliant. May we not argue with each other. Om peace, peace, peace.

Brief explanation:
At the beginning of a class, the teacher and students generally recite this peace invocation together. Both seek the Lord’s blessings for study that is free of obstacles, such as poor memory, or the inability to concentrate or poor health. They also seek blessings for a conducive relationship, without which communication of any subject matter is difficult. Therefore, this prayer is important for both the teacher and the student.

Wonder Water Therapy...

Water Therapy

Drink six (6) glasses of water (1.5 liters) everyday and avoid medicine, tablets, injections, diagnosis, doctor fees, etc., You can never believe before practicing.

List of Diseases that can be cured by Water Therapy:

Blood Pressure / Hyper Tension
Anemia (Blood Shortage)
Rheumatism (Pain in joints/muscles)
General Paralysis
Obesity
Arthritis
Sinusitis
Tachycardia
Giddiness
Cough
Leukemia
Asthma
Bronchitis
Pulmonary
Tuberculosis
Meningitis
Kidney Stones
Urogenital Diseases
Hyper Acidity
Dysentry
Gastroenteritis
Uterus Cancer
Rectal Piodapse
Constipation
Hostorthobics
Diabetes
Eye Diseases Ophthalmic Hermorrhage & Opthalmia (Reddisheye)
Irregular Menstruation
Breast Cancer
Laryngitis
Headache
Leukemia

Therapy Procedure
If required, boiled and filtered water may be used for this purpose. It is difficult to drink 1.5 liters of water at one time, but you will get used to it gradually.

Initially, while practicing you may drink four glasses first and to balance two glasses after a gap of two minutes.

You may find the necessity to urinate 2 to 3 times within an hour, but it will become normal after quite some time.

Early morning, after you get up from bed, (without even brushing your teeth) drink 1.50 liters of water i.e., 5 to 6 glasses.

Let us all know that ancient Indians termed this therapy as “Usha Paana Chikitsa”. You may wash your face thereafter.
Here it is very essential to note that nothing else, neither drinks nor solid food of any sort should be taken within 1 hour before and after drinking these 1.5 liters of water.

It is also to be strictly observed that no alcoholic drinks should be taken the previous night.

The following diseases are observed to be cured with this therapy within the indicated days as below:

Constipation - 1 day

Acidity - 2 days

Diabetes - 7 days

Pulmonary TB - 3 months

Hypertension/BP - 4 weeks

Wednesday, June 6, 2007

Effective Tips for Back Pain Relief

Nowadays back pain becomes a very common word for most of the people who is living so called Modern Life. These Modern people don’t like to do physical work. So, in the result we are getting weak body and low energy level. The following article lists some simple and effective methods that will help you reduce back pain. This article can give you an insight into everything you've ever wanted to know about relief for back pain.

Back pain is often a sign of injury or some underlying problem related to your spine – its bones, muscles, and other soft tissues. It could interrupt your work, routine, and your daily activities. It may even affect your normal lifestyle.

Fortunately back pain can be managed by using some simple treatment method in the beginning. In fact, most of episodes last from a few days to a few weeks and rarely do they last more than three months. If they do, then you are advised to consult a doctor or Qualified Yoga Therapist since pain may just be a symptom of a far more serious injury or disorder. Yoga can help not only to manage back pain but it also work on other aspect of disorder.

Some of the cases we find all the test reports showing normality, doctor also treating for a long time but in vain. In this type of case main problem is not lying in the spine, but back pain is just a symptom of other underlying chronic problem. 
Back pain may be related to Digestive problem or Constipation. Chronic constipation slowly start damaging spine. It is completely out of thinking in medical science in case of male. And in case of female, main problem may not be in back or in spine. It may related to disturbed menstruation or other Gynecological problem, which is ignored for a long time.

So, before starting treatment once think wisely to overlook all the aspect of the problem and then try to treat the root cause of the problem. Then definitely gets fast & better result.
In most cases, certain pain management methods may be used to achieve back pain relief. The treatment could range from use of nonprescription drugs to massage therapies and traditional remedies like acupuncture and yoga. Below are some of the popular methods used for lower back pain relief:




1. Yoga:

Many people believe that rest is best for a painful back, but actually, what your back really needs. Regular Yoga practice in the guidance of Qualified Yoga Therapist relieves back pain by strengthening and stretching the muscles that support the spine and helps to prevent future injury. If your back pain is not chronic or spine is not damage enough, then you can try some Asanas which I referring here but again I advised before trying it consult a Qualified Yoga Therapist for proper advice.

  • Advasana - Reverse Corpse Pose
  • Salamba Bhujangasana - Sphinx 
  • Makarasana - Crocodile Pose
  • Tadasana - Mountain Pose
  • Vajrasana - Thunderbolt Pose
  • Marjari-asana - Cat Pose

If you do not know of any, you can always ask your Yoga Therapist for reference. There are also movement therapies to develop proper posture. To manage pain, you may do any of the following:


• Walk short distances slowly
• Stretch and do flexibility exercises


2. Losing Weight:

Losing weight can also be a back pain relief. This is because being overweight can make the ache get worse. You also have to get your muscles in better shape and improving your postures when sitting, standing or sleeping.Remember, if your head is not in line with your body it is like having a 15-pound weight constantly pulling you forward, which can strain the neck and shoulders. Standing and sitting with good posture help to keep your back healthy and fit.
Wrong posture creating stress in your back which can be cause of back pain.


3. Hot and cold Pads:

The person should apply hot and cold pads over the injured area. Do this for up to 20 minutes several times every day. This will help relax the muscles and increase blood flow, speeding up recovery. Warm baths are excellent for relieving mild backaches. If still not getting relief after two to three days of hot and cold treatment then contact your doctor or Qualified Yoga Therapist.


4. Massage Therapy:

Studies have shown that massage therapy is more effective than both chiropractic and acupuncture for relieving pain due to muscle spasms. The benefits of massage therapy include improved circulation, which helps alleviate muscle soreness; muscle relaxation, which helps muscles move without pain; and increased endorphins, the body’s natural pain relievers.