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Sunday, June 14, 2020

स्लिम और फिट शरीर पाने का राज.

One the of movement in Bihar School of Yoga.


आज एक दिलचस्प वाक्या आपलोगों के सामने रखना चाहता हूँ.


कुछ लोग ही शायद जानते हों मेरा जुड़ाव योग से दो दशकों से सीखने और सीखाने से रहा हैं. वैसे तो पिताश्री मेरे जन्म के पहले से ही योग के दो बड़े स्तम्भ शिवानंद आश्रम, ऋषिकेश और बिहार योग विद्यालय, मुंगेर से डायरेक्ट जुड़े रहे. और परिस्थितयों बस मैं सन 2001 में बिहार योग विद्यालय से, दिल्ली के भौतिक जीवन और आईटी में महारथ हासिल करने और काम करने के बाद कनेक्ट हुआ. बचपन में आना-जाना होता रहा, पर वो सिर्फ एक आउटिंग होती थी मेरे लिए. कुछ साल आश्रम के कठिन अनुशासन में रहा. वही रहते हुए इच्छा हुई तो योग मनोविज्ञान में डिप्लोमा कर लिया. योग पिताश्री के लिए जीवन पद्धित थी और उसे मैं भी अपनाने की कोशिश करता रहता हूँ. इतना बताना इसलिए जरुरी था, ताकि बाकि बात आपको समझ आ सके.


योग सीखने के लिए आज तक जो भी लोग मुझ से जुड़े, पहली मुलाकात में दो-चार को छोड़कर सबकी पहली इच्छा यही होती कि वो मेरे जैसे फिट और स्लिम दिखें. अब आप कहोगे दो-चार को छोड़कर क्यों ? तो बात ये थी कि वो दो-चार लोग पहले से ही फिट और स्लिम थे और ओवरआल वेलबीइंग के लिए योग से जुड़े थे. दिल्ली हो या भागलपुर सबके सब हाई सोसाइटी वाले रहे. मेरा अनुभव रहा है, मध्यम वर्ग या निम्न वर्ग के लोग सिर्फ रोग ग्रसित होने पर ही योग की शरण में आता है. उसके पहले उनके लिए योग बकवास है.


फिर बात पहुँचती खानपान पर और लोगों का आंकलन होता “आप तो सिर्फ खिचड़ी और दलिया खाते होंगे”, इसलिए इतने फिट और स्लिम हैं. पहली मुलाक़ात में सिर्फ इतना कहता एक-एक स्टेप फॉलो करो और फिर आपकी इच्छा जरूर पूरी होगी. हो सकता है खानपान में थोडा जोड़-तोड़ करना पड़े पर मैं ये मत खाओ, वो मत खाओ नहीं कहूँगा. मैं खुद एक फूडी हूँ. लोगों को लगता, वाह बैठे बिठाए अलादीन का चिराग हाथ लग गया. खूब खुश हो जाते. 

फिर अगले सेशन में बात होती, क्या करना है.

· रात को जल्दी सोना होगा... (अगर रात में काम पर जाते हों तो एक अलग बात है.)
· सुबह सूर्योदय के पहले या कम से कम साथ उठाना होगा.
· सुबह या शाम कम से कम 4-5 किलोमीटर का वाक प्रतिदिन होना ही चाहिए.
· नियमित एक घंटा बताया और कराया गया योगाभ्यास.
· रात्रि के खाने के बाद, कम से कम एक किलोमीटर धीमी चाल में वाक.


इतना सुनकर लोगों का सर भारी हो जाता. इतना सब आप करते हो, हमसे तो ना हो पायेगा... 
ऐसे में सिर्फ इतना ही कहता हूँ - एक तंदरुस्ती हजार नियामत

इसके साथ खानपान के कुछ नियम भी, जो कभी बाद में बताऊंगा.

Wednesday, May 20, 2020

Discover Your 6th Sense


Discover Your 6th Sense

सिक्स्थ सेंस की क्षमता को कोई इंसान कैसे बढा सकता है? एक मित्र से लम्बी बातचीत में संभवतः मैंने अपने अनुभव के अनुसार, सारे नुस्खे बता दिए. फिर सोचा क्यों ना इसे एक पोस्ट के रूप में लिखा जाए. तो चलिए आपको भी आज सिक्स्थ सेंस के बारे में बताता हूँ. आखिर सिक्स्थ सेंस, छटी इंद्रिय है क्या? कहां होती है ? क्या सिक्स्थ सेंस, छटी इंद्रिय को जाग्रत किया जा सकता है? आइए जानते हैं सिक्स्थ सेंस के बारे में.

परामनोविद्या का इतिहास
परामनोविद्या का इतिहास बहुत पुराना है. हिंदुस्तान में लोककथाएँप्राचीन साहित्यदर्शन, हमारे धर्मग्रंथ पराभौतिक घटनाओं तथा अद्भुत मानवीय शक्तियों के उदाहरणों से भरे पड़े हैं. ऐसा माना जाता है कि महिलाओं में सिक्स्थ सेंस, छटी इंद्रिय पुरुषों के मुकाबले अधिक एक्टिव होती है. हममें से कईयों ने इसे माताओं और बहनों में किसी अप्रिय घटनाओं के समय इसे महसूस किया होगा. ऐसा माना जाता है माताओं को अपने बच्चों के साथ होने वाली अनिष्ट घटनाओं की अनुभूति आज भी हजारों किलोमीटर दूर रहने पर भी हो जाता है. ये अनुभूति भी सिक्स्थ सेंस यानि छटी इंद्रिय की वजह से ही महसूस होती है.

आखिर सिक्स्थ सेंस, छटी इंद्रिय है क्या ?
सिक्स्थ सेंस, जिसे छटी इंद्रिय भी कहते हैं, के बारे में हममें से अधिकतर लोगों ने सुना हैं. इन्सान के शरीर में पांच इंद्रियां होती हैं- नेत्रनाकजीभकान और त्वचा. जिससे हम नेत्र से देखनेनाक से सूंघने, जीभ से स्वाद का अनुभवकान से सुनने और त्वचा से स्पर्श को महसूस करते हैं. लेकिन इन्सानों में एक छुपी हुई छठी इंद्री भी होती है जो दिखाई नहीं देती, पर इसके अस्तित्व को हममें से हर कोई कभी ना कभी महसूस किया होगा. इसे आज एक वैज्ञानिक नाम परामनोविज्ञान (Parapsychology) के नाम से जाना जाता है, इसे विज्ञान ने विवादास्पद विधा बना दिया है. विज्ञान ने छटी इंद्रिय (6th Sense), पूर्वांभास (Foreboding), मानसिक सन्देश भेजने और प्राप्त करने (telepathy) के मानवीय शक्ति को हमेशा नाकारा और इसे जादू-टोना और अन्धविश्वास कहकर समाज में भ्रम फैलाया. असल में ये मानव की उच्च कोटि की परा शक्ति और अनुभूति हैं.

क्या छठी इंद्री को पहचाना जा सकता है ?
छठी इंद्री का शरीर में स्थान को सिर्फ वैदिक तंत्र और योग के माध्यम से ही समझा और पहचाना जा सकता है. योग में इसे ब्रह्मरंध्र के नाम से जाना जाता है. हठयोग मेंमस्तिष्क के ऊपरी मध्य भाग में माना जानेवाला वह छिद्र या रंध्र जहाँ सुषुम्नाइंगला और पिंगला ये तीनों नाड़ियाँ मिलती है. सुषुम्ना ही सात चक्रों और छटी इंद्री का केंद्र मानी जाती है. सामान्यत: छटी इंद्री सुप्त अवस्था में होती है, इसे सहस्रार चक्र के नाम से जाना जाता है. योग के अलग-अलग क्रियाओं और तकनीकों के माध्यम से इसे एक्टिव किया जा सकता है. योग मानता है की एक-तिहाई लोगों की छठी इंद्रिय काफी सक्रिय होती है, जिसे निरंतर योग साधना या वैदिक तंत्र से आसानी से एक्टिव किया जा सकता है.

कैसे पहचाने छठी इंद्री विकसित हैं या नहीं ?
छठी इंद्री के एक्टिव होने से कई घटनाओं का पूर्वाभास किया जा सकता है. इसके एक्टिव होने से कई तरह की सिद्धि भी प्राप्त की जा सकती है. छठी इंद्री जागृत होने पर मस्तिष्क कई गुना ज्यादा काम करने लगता है और वे अपने आसपास होने वाली गतिवधियों का पूर्वाभास कर लेता है. सिक्स्थ सेंस, छटी इंद्रिय से किसी भी नकरात्मिक शक्ति को भी आसानी से महसूस किया जा सकता है.

इसे योग साधना और तकनीक से एक्टिव किया जा सकता है, आइये जाने उस योग साधना और तकनीकों के बारें में.

Doing Asana Daily Boosting Your Psychic Power Too
योग आसन
योग आसन के फायदे आज सर्वविदित है, शायद ही किसी को इसके बारे में समझाने की जरूरत हो. प्रतिदिन शरीर के अनुकूल निश्चित आसन करने से शरीर के साथ मानसिक शक्ति भी बढती है. इसमें कई तरह के आसन हैं, कुछ चुनिदा आसनों के साथ सूर्य नमस्कार का सतत अभ्यास से लाभ होता है.  

प्राणायम
विज्ञान कहता है की हम अपने दिमाग का सिर्फ 10 से 15 प्रतिशत शक्ति का ही उपयोग करते हैं. जिसे प्राणायाम के माध्य से बढाया जा सकता है. दिमाग की शक्ति बढ़ने से छठी इंद्री भी जागृत हो सकती है. इसके लिए सबसे अहम् है श्वास लेने की सही तकनीक को समझना और सही श्वास विधि को अपनाकर अधिक मात्र में शरीर के वायुकोषों में ऑक्सीजन की मात्र को पहुँचाना. फेफड़ों और हृदय के करोड़ों वायुकोषों तक सही मात्र में ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाने के कारण मस्तिष्क का कुछ हिस्सा ही काम करता है. वायुकोषों तक प्राणायाम द्वारा प्राणवायु मिलने से कोशिकाओं की रोगों से लड़ने की शक्ति भी बढ़ जाती है.

Meditation is the Path of Self Realization  

ध्यान
ध्यान सुनने में जितना सहज लगता हैं, उसे करना उतना ही कठिन कार्य है. ज्यादातर अभ्यासियों को ध्यान में मन नहीं लगना. मन भटकना और ज्यादा देर तक बैठ नहीं पाना आम समस्या है. ध्यान की अनेकों विधियाँ हैं. ध्यान का सतत अभ्यास आज्ञाचक्र को जाग्रत करता है. जो हमारे सिक्स्थ सेंस को बढ़ाता है. ध्यान का नियमित छोटा अभ्यास भी सहायक सिद्ध हो सकता है.

त्राटक
योग की एक किया है त्राटक. त्राटक मन की एकाग्रता को बढ़ता है जिससे ध्यान करने में मदद मिलती है. किसी एक बिंदु, क्रिस्टल बॉलमोमबत्ती की लौ या दीपक की लौ, पर बिना पलक झपकाए देखते रहने की क्रिया है. मानसिक शक्ति को जागृत करने की यह बहुत ही शक्तिशाली तकनीक है. इससे आप की एकाग्रता बढ़ेगी और धीरे धीरे छठी इंद्री जाग्रत होने लगती है. इसका अभ्यास किसी योग्य योग गुरु, योग शिक्षक की देखरेख में ही शुरू करना चाहिए. ये बहुत ही शक्तिशाली विधि है, गलत ढंग से करने के अपूरणीय क्षति हो सकती है.

कुछ समय का मौन
योग मानता है कि हम जरूरत से ज्यादा बोलकर अपनी शक्तियों का क्षय करते हैं. इसलिए योग में मौन धारण को भी एक शक्तिशाली साधना माना जाता है. अगर हम शक्तियों को बढ़ाने के लिए किये जाने वाले साधना और क्रियाओं के साथ अपनी अर्जित शक्तियों का क्षय रोक दें, तो सिक्स्थ सेंस को विकसित करने में सहायता मिलती है.

आपको यह पोस्ट कैसा लगा, जानने के लिए आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा.